गंध बनकर हवा में बिखर जायँ हम, ओस बनकर पँखुरियों से झर जायँ हम
तू न देखे हमें बाग़ में भी तो क्या ! तेरा आँगन तो ख़ुशबू से भर जायँ हमहमने छेड़ा जहाँ से तेरे साज़ को, कोई वैसे न अब इसको छू पायेगा
तेरे होंठों पे लहरा चुके रात भर, सोच क्या अब जियें चाहे मर जायँ हम!Gulab Khandelwal
रचनायें
Gulab Khandelwal – Selected Poems
View
The Evening Rose
View
अनबिंधे मोती
View
अन्तःसलिला
View
तुझे पाया अपने को खोकर
View
अहल्या
View
दिया जग को तुझसे जो पाया
View
आधुनिक कवि – १९, गुलाब खंडेलवाल
View
देश विराना है
View
आयु बनी प्रस्तावना
View
नये प्रभात की अँगड़ाइयाँ
View
नहीं विराम लिया है
View
आलोकवृत्त
View
उषा
View
ऊसर का फूल
View
एक चन्द्रबिम्ब ठहरा हुआ
View
गुलाबजी के काव्य पर मिले विभिन्न पुरस्कार –
छः पुस्तकें हिन्दी संस्थान (उत्तर-प्रदेश सरकार) द्वारा पुरस्कृत हुईं –
१. उषा (महाकाव्य)- उत्तर प्रदेश द्वारा पुरस्कृत- १९६७ में
२. रूप की धूप – उत्तर प्रदेश द्वारा पुरस्कृत- १९७१ में
३. सौ गुलाब खिले – उत्तर प्रदेश द्वारा पुरस्कृत- १९७५ में
४. कुछ और गुलाब – उत्तर प्रदेश द्वारा पुरस्कृत- १९८० में
५. अहल्या (खंडकाव्य) – उत्तर प्रदेश द्वारा विशिष्ट पुरस्कार- १९८० में
६. अहल्या (खंडकाव्य) – श्री हनुमान मन्दिर ट्रस्ट, कलकत्ता, अखिल भारतीय रामभक्ति पुरस्कार – १९८४ में
७. आधुनिक कवि,१९ – बिहार सरकार द्वारा, साहित्य सम्बन्धी अखिल भारतीय ग्रन्थ पुरस्कार १९८९ में
८. हर सुबह एक ताज़ा गुलाब – उत्तर प्रदेश द्वारा निराला पुरस्कार – १९८९ में
महाकवि गुलाब खंडेलवाल की कुछ पुस्तकें महाविद्यालयों के पाठ्यक्रम में भी रही थीं.
१. ‘आलोकवृत्त’ खंडकाव्य उत्तरप्रदेश में इंटर के पाठ्यक्रम में १९७६ से है तथा अभी तक चल रहा है.
२. ‘आलोकवृत्त’ खंडकाव्य मगध विश्वविद्यालय बिहार, भारत के बी. ए. के पाठ्यक्रम १९७६ से था.
३. ‘कच-देवयानी’ खंडकाव्य मगध विश्वविद्यालय के इंटर के पाठ्यक्रम में रहा था.
४. ‘अहल्या’ खंडकाव्य मगध विश्वविद्यालय बिहार भारत के बी. ए. के पाठ्यक्रम में था.
५. ‘उषा’ महाकाव्य मगध विश्वविद्यालय बिहार भारत के बी. ए. के पाठ्यक्रम में १९६८ से कई वर्षों तक रहा.
भारत-
१. १९७९ में उत्तर प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन ने उन्हें सम्मानित किया तथा
२. १९८९ में , प्रयाग ने तत्कालीन अध्यक्ष डॉ॰ रामकुमार वर्मा के कर-कमलों द्वारा साहित्य-वाचस्पति की सर्वोच्च उपाधि से सम्मानित किया।
३. १९९७ में गुलाबजी की दो पुस्तकों ’भक्ति-गंगा’ तथा ’तिलक करें रघुबीर’ का उद्घाटन माननीय राष्ट्रपति श्री शंकरदयाल शर्मा के कर-कमलों द्वारा हुआ।
४. २००१ (के आसपास) में इटावा में श्री मुरारी बापू, उत्तर प्रदेश के तत्कालीन गवर्नर विष्णुकान्त शास्त्री, पूर्व अटर्नी जनरल श्री शान्तिभूषण तथा उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री मुलायम सिंह यादव -चारों ने मिलकर गुलाबजी को सम्मानित किया जिसपर मुरारी बापू ने कहा, “आज धर्म, शासन, राजनीति और कानून ने एक साथ आपको सम्मानित किया है।”
अमेरिका-
१. १९८५ में काव्य-सम्बन्धी उपलब्धियों के लिये बाल्टीमोर नगर की मानद नागरिकता (Honorary Citizenship) प्रदान की गयी।
२. ६ दिसम्बर १९८६ में राजधानी वाशिंगटन डी. सी. में विशिष्ट कवि के रूप में सम्मानित किया गया। उक्त दिवस को मेरीलैन्ड के गवर्नर ने सम्पूर्ण मेरीलैन्ड राज्य में तथा बाल्टीमोर के मेयर ने बाल्टीमोर नगर में हिन्दी दिवस घोषित किया।
३. २६ जनवरी २००६ में अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डी. सी. में अमेरिका और भारत के सम्मिलित तत्त्वावधान में आयोजित गणतन्त्र-दिवस समारोह में मेरीलैंड के गवर्नर द्वारा कवि-सम्राट की उपाधि से अलंकृत किया गया।

